भारत-पाकिस्तान में अमेरिका की भूमिका: ताज़ा स्थिति
2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष* (जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से भी जाना गया) के दौरान अमेरिका की भूमिका को लेकर कई तरह के दावे और प्रतिक्रियाएँ सामने आईं।
अमेरिकी दावे और भारत का रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कई बार दावा किया कि उनकी मध्यस्थता और व्यापारिक दबाव के चलते भारत और पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए तैयार हुए.ट्रंप ने कहा कि अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापार नहीं कर सकता जब तक वे एक-दूसरे पर गोलीबारी कर रहे हों, और इसी कारण दोनों पक्ष सीजफायर के लिए राज़ी हुए.अमेरिका के विदेश मंत्री और उपराष्ट्रपति ने भी कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों के साथ गहन बातचीत की है.
भारत का आधिकारिक बयान:
भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से इन अमेरिकी दावों को खारिज किया है। भारत का कहना है कि संघर्ष विराम पूरी तरह द्विपक्षीय बातचीत के जरिए हुआ और इसमें अमेरिका या किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी भारत ने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय स्तर पर ही सुलझाए जाएंगे, किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान का पक्ष:
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया पर संघर्ष विराम की जानकारी दी और कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा क्षेत्र में शांति के लिए प्रयास किए हैं
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि ट्रंप ने सऊदी अरब, तुर्की, कतर, यूके, संयुक्त राष्ट्र और चीन के साथ मिलकर युद्धविराम की सुविधा में “महत्वपूर्ण और सर्वोपरि भूमिका निभाई।
विशेषज्ञों की राय:
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता का पक्ष लिया है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया
भारत ने संघर्ष विराम की शर्तें अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर तय कीं और अमेरिका की भूमिका को केवल संवाद तक सीमित रखा
निष्कर्ष:
भारत-पाकिस्तान के हालिया संघर्ष में अमेरिका की कोई औपचारिक या निर्णायक भूमिका नहीं रही भारत ने संघर्ष विराम का फैसला पाकिस्तान से सीधे बातचीत के बाद, अपनी शर्तों पर लिया अमेरिका ने कूटनीतिक स्तर पर संवाद किया और खुद को मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत किया, लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया और द्विपक्षीय समाधान को ही प्राथमिकता दी.
सारांश:
हालिया भारत-पाकिस्तान संघर्ष में अमेरिका ने मध्यस्थता का दावा किया, लेकिन भारत ने इसे सिरे से नकार दिया और स्पष्ट किया कि अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। संघर्ष विराम भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत से हुआ.