परिचय:
मध्य पूर्व में फिर से तनाव की आग भड़क उठी है। कभी “ऐतिहासिक कदम” कही जाने वाली ट्रंप पीस डील गाजा संघर्ष के बीच अब पूरी तरह टूट चुकी है। इस डील का मकसद था शांति कायम करना, लेकिन आज गाजा में फिर हिंसा, रॉकेट हमले और बेघर होते लोगों की तस्वीरें दुनिया को झकझोर रही हैं।
सवाल यह है — ट्रंप पीस डील गाजा संघर्ष आखिर क्यों हुआ, और क्या इसका असर सिर्फ गाजा तक सीमित रहेगा या पूरी दुनिया पर पड़ेगा? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
1. ट्रंप की पीस डील क्या थी?
साल 2020 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व में शांति लाने के लिए एक बड़ी पहल की थी — जिसका नाम था Abraham Accords, जिसे आम तौर पर “ट्रंप की पीस डील” कहा गया।
इस डील के तहत इज़राइल और कुछ अरब देशों (जैसे यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान) के बीच संबंध सामान्य करने पर सहमति बनी।
इसका मकसद था —
- दशकों से चल रहे संघर्ष को खत्म करना।
- आर्थिक और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देना।
- और मध्य पूर्व में स्थायी शांति की नींव रखना।
कई देशों ने इसे “ऐतिहासिक कदम” कहा, लेकिन फिलिस्तीन ने इसे अपने “अधिकारों से धोखा” बताया। वहीं, हमास जैसे संगठनों ने इसे “एकतरफा सौदा” माना।
2. डील टूटने की वजह क्या रही?
ट्रंप की पीस डील टूटने के कई कारण हैं, जिनमें राजनीतिक, सैन्य और भावनात्मक पहलू शामिल हैं।
- हमास और इज़राइल के बीच बढ़ती हिंसा:
गाजा में हाल के महीनों में सीमा पर झड़पें, हवाई हमले और जवाबी हमले बढ़े हैं। - नई अमेरिकी नीति:
ट्रंप के बाद आई बाइडन सरकार ने इस डील को उतनी प्राथमिकता नहीं दी। इससे कई पहल अधूरी रह गईं। - भरोसे की कमी:
फिलिस्तीनियों का मानना था कि उनकी आवाज़ इस डील में शामिल नहीं की गई। - राजनीतिक बदलाव:
इज़राइल और अरब देशों की सरकारों में बदलाव ने भी समझौते की दिशा बदल दी।
धीरे-धीरे यह डील एक “कागज़ी वादा” बन गई और अंततः पूरी तरह टूट गई।
3. गाजा में अब क्या हो रहा है?
डील के टूटने के बाद गाजा पट्टी में स्थिति बेहद गंभीर है।
- लगातार रॉकेट हमले और एयरस्ट्राइक हो रही हैं।
- आम लोग अपने घरों से बेघर हो रहे हैं।
- बिजली और पानी जैसी मूल सुविधाएं ठप पड़ गई हैं।
सोशल मीडिया पर #GazaUnderAttack और #PeaceDealFail जैसे हैशटैग तेजी से ट्रेंड कर रहे हैं।
हर तरफ डर और असुरक्षा का माहौल है।
लोग कह रहे हैं — “जब भी शांति की बात होती है, कुछ ही हफ्तों में बमों की आवाज़ लौट आती है।”
4. दुनिया की प्रतिक्रिया क्या है?
इस नए संघर्ष पर दुनिया की प्रतिक्रिया भी काफ़ी दिलचस्प रही है।
- संयुक्त राष्ट्र (UN):
हिंसा को तुरंत रोकने और बातचीत बहाल करने की अपील की है। - अमेरिका:
“शांति कायम रखने” की बात कही, लेकिन किसी सख्त कदम से परहेज़ किया। - यूरोपीय देश:
दोनों पक्षों से संयम और बातचीत की अपील कर रहे हैं। - भारत:
हमेशा की तरह राजनयिक समाधान और संवाद का समर्थन कर रहा है।
फिर भी, अब तक किसी ने भी ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया जो इस संघर्ष को वाकई रोक सके।
5. इस संघर्ष का वैश्विक असर क्या होगा?
ट्रंप की पीस डील का टूटना सिर्फ गाजा या इज़राइल की बात नहीं है — इसका असर पूरी दुनिया में महसूस किया जा सकता है।
- तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं – मध्य पूर्व अस्थिर होने का मतलब है ग्लोबल ऑयल मार्केट में झटका।
- राजनैतिक ध्रुवीकरण बढ़ेगा – देश अपने-अपने पक्ष चुनने लगते हैं।
- शरणार्थी संकट – गाजा के आम नागरिकों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है।
- शांति की उम्मीद कमजोर होती है – जब कोई बड़ी डील फेल होती है, तो भविष्य में कोई उस पर भरोसा नहीं करता।
6. क्या अब भी शांति की उम्मीद है?
इतिहास बताता है कि युद्ध चाहे जितना लंबा क्यों न हो, अंत में शांति की कोशिशें ही टिकती हैं।
कई देशों और संगठनों ने अब फिर से “बातचीत की टेबल” पर लौटने की बात की है।
लोगों की उम्मीद है कि शायद एक नई शांति प्रक्रिया शुरू हो, जो इस बार सबको साथ लेकर चले।
निष्कर्ष:
ट्रंप की पीस डील एक समय पर शांति की किरण थी, लेकिन आज वह एक राजनीतिक सबक बन चुकी है।
गाजा की सड़कों पर उठता धुआं हमें याद दिलाता है कि शांति सिर्फ समझौते से नहीं आती — वह भरोसे और संवाद से आती है।
अब दुनिया के सामने एक ही सवाल है —
👉 “क्या हम फिर से वही गलती दोहराएंगे, या इस बार वाकई शांति की राह चुनेंगे?”