30 अप्रैल (अक्षय तृतीया) से चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है. गंगोत्री, यमुनोत्री केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं. बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोल दिए जाएंगे.आज बाबा केदारनाथ के कपाट( ब्रह्म मुहूर्त ) में खोल दिए गए हैं. इस दौरान रुद्राभिषेक, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ और भोलेनाथ का भीष्म श्रृंगार किया गया. आपको बता दें कि कपाट खुलते ही भक्तों की लाइन अखंड ज्योति के दर्शन के लिए लग गई. भीड़ को मैनेज करने के लिए टोकन सिस्टम की व्यवस्था की गई है, ताकि किसी तरह की भगदड़ न मचे.
आपको बता दें कि कपाट बंद होने से पहले बाबा का भीष्म का श्रृंगार किया जाता है. इस श्रृंगार को करने में 5 घंटे का समय लगता है. इस श्रृंगार में बाबा को अगले 6 माह के लिए आवश्यक चीजों से “सुसज्जित” किया जाता है. शिवलिंग पर दूध, दही, पंचामृत और शहद का अभिषेक करने के बाद शुद्ध जल से साफ किया जाता है. फिर शुद्ध देसी घी से शिवलिंग पर लेप लगाया जाता है. फिर 12 मुखी रुद्राक्ष की माला चढ़ाई जाती है. इसके बाद सभी मौसमी फलों और मेवों को सफेद कपड़े से ढक दिया जाता है. इसके साथ ही एक अखंड ज्योति भी जलाई जाती है. फिर जब 6 महीने बाद कपाट खुलते हैं, तो सारी चीजों को हटाकर दोबारा से शिवलिंग का गंगा जल, दूध, दही, शहद पंचामृत से स्नान कराकर फूल और भस्म का लेप लगाकर तैयार किया जाता है.आपको बता दें कि जब कपाट 6 महीने बाद खुलता है तो 6 महीने पहले जली ज्योति वैसे ही जलती हुई मिलती है जिसके दर्शन के लिए भक्तों में उत्सुकता रहती है. क्योंकि इस ज्योति को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है.