वट पूर्णिमा व्रत: महत्व, पूजन विधि और उपाय ?
वट पूर्णिमा व्रत हिंदू धर्म में विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन वट (बरगद) वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश—तीनों देवताओं का वास होता है। वट वृक्ष की पूजा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
वट पूर्णिमा व्रत का महत्व ?
यह व्रत पति की दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है।
वट वृक्ष की पूजा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा, दुर्भाग्य और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। इस व्रत से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति का योग भी बनता है.
वट पूर्णिमा व्रत की पूजन विधि ?
स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
पूजन सामग्री: बांस की टोकरी में सात प्रकार के अनाज, वस्त्र के टुकड़े, मां सावित्री की प्रतिमा, धूप, दीपक, मौली, कुमकुम आदि रखें।
वट वृक्ष की पूजा: शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की जड़ों में जल चढ़ाएं, धूप-दीप दिखाएं, प्रसाद अर्पित करें और कच्चा धागा सात बार वट वृक्ष के चारों ओर लपेटें।कथा श्रवण: सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।-
भोग और प्रसाद:पूजा के बाद चने और गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं और उसे ग्हण करें
पति का आशीर्वाद: जिस पंखे से वट वृक्ष को हवा दी, उसी पंखे से पति को हवा कर उनका आशीर्वाद लें.
वट पूर्णिमा के विशेष उपाय ?
गरीबों को दान करें, इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
वट वृक्ष की पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
देसी घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करें, इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
वट पूर्णिमा 2025 के शुभ मुहूर्त ?
पूजन का समय:* सुबह 8:52 बजे से दोपहर 2:05 बजे तक
स्नान और दान का समय:* सुबह 4:02 से 4:42 तक
चंद्रोदय:* शाम 6:45 बजे
वट पूर्णिमा व्रत पति की लंबी आयु, सुख-शांति और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विधिपूर्वक व्रत और पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और खुशहाली बनी रहती है.